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HomeHimachal Pradeshक्या 2019 का फार्मूला दोहरा पाएगी भाजपा?

क्या 2019 का फार्मूला दोहरा पाएगी भाजपा?

जुब्बल कोटखाई विधानसभा और मंडी लोकसभा

उपचुनाव में दिवगंत सदस्यों के परिवार टिकट के दावेदार

सौरभ सूद, टीएनएन

हिमाचल में प्रस्तावित लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों को लेकर परिवारवाद फिर चर्चा में है। सूबे के दोनों मुख्य राजनीतिक दलों भाजपा व कांग्रेस में उम्मीदवारों के चयन को लेकर चर्चा का दौर चल रहा है|

बता दें कि मंडी लोकसभा सीट भाजपा सांसद रामस्वरूप शर्मा और जुब्बल कोटखाई विधानसभा सीट नरेंद्र बरागटा के निधन से खाली हुई है।


भाजपा का थिंक टैंक दो पहलुओं पर विचार कर रहा है। पहला यह कि दोनों सीटों से उन्हीं के परिवार के सदस्य को टिकट देकर जनता की सहानुभूति का लाभ उठाए। दूसरा, 2019 का प्रयोग इन उपचुनावों में दोहराएं जब परिवारवाद को दरकिनार कर जिला कांगड़ा की धर्मशाला व जिला सिरमौर की पच्छाद सीट के उपचुनाव में नए व युवा चेहरों पर सफल दांव लगाया था।

उस समय भाजपा ने सांसद किशन कपूर द्वारा अपने पुत्र को टिकट की जोरदार पैरवी के बावजूद एक आम कार्यकर्ता विशाल नैहरिया को धर्मशाला से उम्मीदवार बनाकर नया सियासी प्रयोग किया था जो सफल रहा।

उपचुनाव में भाजपा के युवा प्रत्याशी ने कांग्रेस उम्मीदवार की जमानत जब्त करवा दी थी। वहीं पच्छाद में सात बार जीते पूर्व मंत्री गंगू राम मुसाफिर को महिला उम्मीदवार रीना कश्यप ने करारी शिकस्त दी थी।

जुब्बल कोटखाई में बरागटा, मंडी में राम स्वरूप के पुत्र का दावेदारों में नाम: ऊपरी शिमला की जुब्बल-कोटखाई विधानसभा सीट से दिवंगत पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा का नाम टिकट के दावेदारों में सबसे आगे है। यहां नीलम दरेक और प्रज्वल ब्रस्टा भी टिकट की दौड़ में हैं।

चेतन बरागटा भाजपा आईटी सेल में राष्ट्र स्तर पर काम कर चुके हैं और शिमला में सक्रिय रहे हैं। उधर, मंडी से दिवंगत भाजपा सांसद रामस्वरूप शर्मा के बड़े पुत्र ने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है।

पूर्व सांसद महेश्वर सिंह टिकट के लिए आवेदन भी कर चुके हैं। जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह, शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर और रिटायर ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह के नाम भी चर्चा में हैं।

कांग्रेस फिर परिवारवाद की राह पर: कांग्रेस अभी तक परिवारवाद से मुक्त नहीं हो पाई है। विपक्षी पार्टी ने जुब्बल कोटखाई उपचुनाव में पुनः परम्परागत प्रत्याशी रोहित ठाकुर को उतारने का ऐलान कर दिया है।

वह पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल के पोते हैं। जबकि, फतेहपुर सीट से अपने दिवंगत विधायक सुजान सिंह पठानिया के पुत्र भवानी पठानिया को उम्मीदवार बनाकर सहानुभूति कार्ड खेलने का मन बनाया है।

फतेहपुर में बीते दिनों पार्टी के आला नेताओं की बैठक में इस बारे सहमति बनी है। मंडी लोकसभा सीट पर पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने फिर से टिकट मांगी है। पार्टी पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह और पूर्व मंत्री कौल सिंह के नाम पर भी विचार कर रही है।

मिली राजनीतिक विरासत, पर चमक नहीं सकी सियासतः जब डॉक्टर का पुत्र डॉक्टर, वकील का बेटा वकील और व्यापारी का बेटा व्यापारी बन सकता है तो नेता का बेटा नेता क्यों नहीं बन सकता? यह तर्क सियासत में परिवारवाद को जायज ठहराने के लिए अक्सर दिया जाता है।

लेकिन, विरासत में मिली राजनीति की कसौटी पर हर नेता पुत्र खरा उतरे ऐसा भी नहीं है। 90 के दशक में परागपुर से भाजपा विधायक रहे मास्टर वीरेंद्र के पुत्र नवीन धीमान एक बार विधायक बनने के बाद राजनीति से ओझल हो गए।

पूर्व शिक्षा मंत्री ईश्वर सिंह धीमान के पुत्र अनिल धीमान भी नेपथ्य में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा और पोते आश्रय का सियासी सफर भी अधर में है। सुजानपुर के कांग्रेस विधायक राजिंदर राणा के पुत्र अभिषेक राणा भी अभी तक पूरी तरह सियासी पांव नहीं जमा सके हैं।

पूर्व सांसद चन्द्र कुमार के पुत्र नीरज भारती एक बार विधायक रहने के बाद सियासी पकड़ खो चुके हैं।

इन नेताओं ने बखूबी संभाली राजनीतिक विरासत:

पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर (जोकि इसी सप्ताह केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बने हैं), पूर्व उप मुख्यमंत्री पंडित सन्त राम के पुत्र व पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधायक पुत्र विक्रमादित्य, पूर्व मंत्री कुंज लाल ठाकुर के पुत्र गोविंद ठाकुर (शिक्षा मंत्री), पूर्व मंत्री मिलखी राम गोमा के पुत्र यादविंदर गोमा (पूर्व विधायक), पूर्व मंत्री सत महाजन के पुत्र अजय महाजन (पूर्व विधायक)
सहित सूबे की सियासत में दर्जनों ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है।

हिमाचल में अब तक हुए उपचुनाव व उनके परिणाम
वर्ष 1993
विधानसभा सीट : हमीरपुर
इनके निधन से खाली हुई सीट : ठाकुर जगदेव चंद, भाजपा
उपचुनाव में विजेता : अनीता वर्मा, कांग्रेस

वर्ष 1998
विधानसभा सीट : परागपुर , जिला कांगड़ा
इनके निधन से खाली हुई : वीरेंद्र धीमान, भाजपा
उपचुनाव में विजेता : निर्मला देवी, भाजपा

वर्ष 1998
विधानसभा सीट : बैजनाथ , जिला कांगड़ा
इनके निधन से खाली हुई: पंडित सन्त राम, कांग्रेस
उपचुनाव में विजेता : दूलो राम, भाजपा

वर्ष 2004
विधानसभा सीट : गुलेर (अब ज्वाली), जिला कांगड़ा
इनके सांसद बनने से खाली हुई : चन्द्र कुमार, कांग्रेस
उपचुनाव में विजेता : हरबंस राणा, भाजपा

वर्ष 2011
विधानसभा सीट : श्री रेणुका जी, जिला सिरमौर
इनके निधन से खाली हुई : प्रो. प्रेम सिंह, कांग्रेस
उपचुनाव में विजेता : हिरदा राम, भाजपा

वर्ष 2011
विधानसभा सीट : नालागढ़, जिला सोलन
इनके निधन से खाली हुई : हरि नारायण सैणी, भाजपा
उपचुनाव में विजेता : लखविंदर राणा, कांग्रेस

वर्ष 2014
विधानसभा सीट : सुजानपुर, जिला हमीरपुर
इनके सांसद का चुनाव लड़ने से खाली हुई : राजेन्द्र राणा, कांग्रेस
उपचुनाव में विजेता : नरेंद्र ठाकुर, भाजपा

वर्ष 2017
विधानसभा सीट : मेवा (अब भोरंज), जिला हमीरपुर
इनके निधन से खाली हुई : ईश्वर दास धीमान, भाजपा
उपचुनाव में विजेता : अनिल धीमान, भाजपा

वर्ष 2019
विधानसभा सीट : धर्मशाला, जिला कांगड़ा
इनके सांसद बनने से खाली हुई : किशन कपूर, भाजपा
उपचुनाव में विजेता : विशाल नेहरिया, भाजपा

वर्ष 2019
विधानसभा सीट : पच्छाद, जिला सिरमौर
इनके सांसद बनने से खाली हुई : सुरेश कश्यप, भाजपा
उपचुनाव में विजेता : रीना कश्यप

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