सहानुभूति वोट बटोरने के लिए इस मुद्दे पर भाजपा भी खामोश
जुब्बल-कोटखाई में दिवंगत विधायक के बेटे को टिकट देने की तैयारी

शिमला
सूबे में चार सीटों के लिए हो रहे निर्वाचन में इस बार परिवारवाद का मुद्दा गायब है।
इस मुद्दे को हर बार के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हवा देने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी इस बार खुद खामोश है,क्योंकि भाजपा जुब्बल-कोटखाई में सहानुभूति वोट बटोरने के लिए पूर्व विधायक एवं इसी सरकार में सीपीएस रहें दिवंगत नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा को मैदान में उतारने जा रही है।
चेतन बरागटा एक महीने से भी अधिक समय से डोर टू डोर प्रचार कर रहे है। बीते दिनों उनके चुनाव क्षेत्र में सीएम की सभी जनसभाओं में वह हर मंच पर साथ देखे गए।
इसलिए उनके चुनाव लड़ने की संभावनाएं प्रबल है। भाजपा उन पर इसलिए विश्वास जता रही है कि क्योंकि कांग्रेस के पारंपरिक गढ़ रहे जुब्बल-कोटखाई में नरेंद्र बरागटा ने ही पहली बार 2007 में सेंध लगाई थी।
जुब्बल कोटखाई में वर्ष 1952 से 2007 तक यहां 11 बार कांग्रेस जीती है,जबकि एक बार कांग्रेस से ही रुष्ट होने के बाद दो बार के सीएम रामलाल ठाकुर जनता दल से विधायक चुने गए थे।
यही वजह है कि कांग्रेस को दो बार हराने वाले नरेंद्र बरागटा के बेटे को भाजपा अपना प्रत्याशी बना सकती है।मंडी से पूर्व सांसद दिवंगत रामस्वरूप शर्मा के बेटे के चुनाव लड़ने से इंकार के कारण यहां किसी ओर को टिकट देने की तैयारी है, जबकि मंडी संसदीय क्षेत्र और फतेहपुर विधानसभा में कांग्रेस भी दिवंगत नेताओं के परिवार से ही प्रत्याशी मैदान में उतारने की तैयारी है।
मंडी से कांग्रेस छह बार के सीएम वीरभद्र सिंह और फतेहपुर से पूर्व एवं दिवंगत विधायक सुजान सिंह पठानिया के बेटे को टिकट देने की तैयारी चल रही है।