2 अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाला खिलाड़ी मुफलिसी में दिन काट रहा

सौरभ सूद, टीएनआर
बैजनाथ
टोक्यो ओलंपिक में 7 पदकों के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ खेल की दुनिया के न्यू इंडिया में हिमाचल के एक छोटे से कस्बे से निकले मार्शल आर्ट्स गेम के एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को अपनी जगह की तलाश है। इस खिलाड़ी का नाम है हरजीत कुमार।
मार्शल आर्ट्स में हरजीत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ढेरों पदक जीते लेकिन देश के नकारा खेल सिस्टम से हार गया। काश, उसे उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जैसा मुख्यमंत्री मिला होता जिन्होंने हाकी की पुरुष व महिला हॉकी के राष्ट्रीय खिलाड़ियों को तराशने के लिए करोड़ों खर्चने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई।
दुर्भाग्य से हिमाचल जैसे छोटे पहाड़ी राज्य में खेलों का उन्नत ढांचा न के बराबर है। ऊपर से मार्शल आर्ट्स जैसे खेल में इन्वेस्ट करने के बारे कौन सोचेगा? सरकारी अदारो में सालों से एड़ियां घिस कर निराश हो चुके हरजीत की आस कुछ ही अरसा पहले खेल मंत्री बने अनुराग ठाकुर से है जो हिमाचल से ही सांसद व स्वयं बड़े खेल प्रेमी हैं।
नए भारत का राग छेड़ रहे अनुराग के फेसबुक पेज पर हरजीत ने अपनी व्यथा भी लिखी है। हरजीत को मलाल है कि उसके अपने राज्य ने उसकी प्रतिभा की कद्र नहीं की।
गुरबत की जिंदगी : परिवार का पेट भरने के लिए दिहाड़ी लगाने को मजबूर
जिला कांगड़ा के बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र की पंचायत धानग के गांव बडुआं के एक साधारण परिवार में जन्मे हरजीत कुमार हिमाचल के इकलौते खिलाड़ी हैं जिसने मार्शल आर्ट्स में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाम हासिल किया, लेकिन उसके पीछे बहुत दर्द और संघर्ष है।
इस खेल को एक दशक से अधिक समय देने के बावजूद उसका संघर्ष अनवरत जारी है। हिमाचल सरकार से उसे कोई मदद नहीं मिली। जबकि अन्य खेलों में अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाले खिलाड़ियों पर करोड़ों की धनवर्षा होती है। आलम यह है कि हरजीत दिहाड़ी लगाकर परिवार की गुजर बसर कर रहा है।
हरजीत के खाते में 2 अंतरराष्ट्रीय सिल्वर मैडल सहित ढेरों पदक
हरजीत की जिंदगी का सफर आसान नहीं रहा है। अंतरराष्ट्रीय मार्शल आर्ट्स प्रतियोगिता में चयन होने पर भी बिना प्रायोजक विदेश जाना आसान नहीं था।
हिमाचल के एक मीडिया हाउस की मदद से उसने 2016 व 2017 में क्रमशः साउथ अफ्रीका और अमरीका में हुई वर्ल्ड मार्शल आर्ट्स खेलों में भारत के लिए 2 रजत पदक जीते। राष्ट्रीय खेलों में उसके नाम ढेरों पदक हैं।
उसे डॉ बी.आर. अम्बेडकर नेशनल अवार्ड 2016, नेशनल मार्शल आर्ट्स अवार्ड 2017, यंग माइंड अवार्ड 2018, एशिया एक्सीलेंस अवार्ड 2019 व कोरोना वॉरियर्स अवार्ड 2020 से नवाजा जा चुका है।
कोरोना काल में एम्बुलेंस ड्राइवर बना, एक कॉल पर लोगों की करता है मदद
बचपन से डॉक्टर बनने की इच्छा रखने वाला हरजीत गरीबी के चलते डॉक्टर तो नहीं बन पाया पर किसी के बीमार होने की ख़बर सुन कर हर मदद के लिए आगे रहता है।
कोरोना माहमारी के समय जब पूरे प्रदेश लॉकडाउन लगा था तो हरजीत ने परौर स्थित कोविड सेंटर में सेवाएं दीं। 2 माह पहले जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी तो पपरोला कोविड अस्पताल में एम्बुलेंस ड्राइवर का काम हाथ मे लेकर सैंकड़ो मरीज़ों को अस्पताल पहुंचाया।
हरजीत नियमित रक्तदान भी करता है।