Sunday, June 4, 2023

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स्वरोजगार की राह

वॉशिंग पाऊडर बनाकर 5-5 हजार रुपए प्रति माह कमा रही सिया राम ग्रुप की महिलाएं

ऊना

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत हरोली विकास खंड की ग्राम पंचायत कर्मपुर के सिया राम स्वयं सहायता समूह ने वॉशिंग पाऊडर बनाने का कार्य कर स्वरोजगार की राह पर चलना सीख लिया है। वर्तमान में समूह के साथ जुडक़र 6 महिलाएं कपड़े धोने का पाऊडर बनाने का कार्य कर रही हैं, जिससे वह आत्मनिर्भर बन रही हैं। ग्रुप के बनाए हुए वॉशिंग पाऊडर की बाजार में अच्छी मांग है और उनका उत्पाद हाथों-हाथ बिक जाता है। ग्राहक इस वॉशिंग पाऊडर का उपयोग कपड़े धोने के साथ-साथ बर्तन साफ करने, गाड़ी धोने व फर्श धोने में भी करते हैं।

ग्राम पंचायत कर्मपुर से सिया राम ग्रुप की उपप्रधान चांद रानी बताती हैं कि उनके गांव में 18 स्वयं सहायता समूह हैं, जो किसी न किसी प्रकार का उत्पाद बनाने के कार्य से जुड़े हैं। उत्पाद तैयार कर जहां अच्छी कमाई हो रही हैं, वहीं महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है। इन योजनाओं से महिलाओं को घर से बाहर निकल कर सशक्त बनने का मौका मिला है और हमें अपने परिवार का पालन पोषण करने में काफी मदद मिली है। वॉशिंग पाउडर बनाकर समूह की प्रत्येक महिला 4-5 हजार रुपए प्रतिमाह कमा लेती है। उन्होंने कहा कि प्रोडक्ट की मांग बढऩे से आमदनी में भी इजाफा हो रहा है।


स्वयं सहायता समूह की महिलाएं वॉशिंग पाउडर बनाने के लिए कच्चे माल की खरीद पहले अम्ब से करती थी। लेकिन वर्तमान में लुधियाना से कच्चा माल लाया जा रहा है, जिससे उनकी लागत कम हुई है। सिया राम ग्रुप वॉशिंग पाऊडर बनाकर न सिर्फ महिला सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, बल्कि यह कार्य करने के लिए ग्रुप को प्रोत्साहित भी किया गया है। खंड, जिला व राज्य स्तर पर ग्रुप को इस कार्य के लिए सम्मानित किया गया है।


सिया राम ग्रुप की कोषाध्यक्ष बीना कुमारी कहती हैं कि वॉशिंग पाऊडर बनाने का काम अपनाकर अपने घर का खर्च करने में काफी मदद मिली है। उन्होंने बताया कि ग्रुप ने 50-60 क्विंटल वॉशिंग पाउडर तैयार कर बेचा है, जिससे लगभग एक लाख तक का लाभ कमाया है। बीना कुमारी ने बताया कि ग्रुप की महिलाएं अपने तैयार किए गए वॉशिंग पाऊडर की सेल आस-पास के गांवों में ही करती हैं।


वहीं एन.आर.एल.एम. की जिला कार्यक्रम प्रबंधक ज्योति शर्मा बताती है कि जिला ऊना में लगभग 1800-1900 स्वयं सहायता समूह हैं। उन्होंने कहा कि हरोली ब्लॉक में लगभग 600-700 ग्रुप कार्य कर रहे हैं। यह ग्रुप पापड़, बडिय़ां, सेवियां, आचार, तेल के साथ-साथ चावल की पैकिंग का कार्य कर उनको बिक्री केंद्र में पहुंचाकर आजीविका कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कार्य आरंभ करने से महिलाओं को पहले ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वह अपने काम को आगे बढ़ाकर अपनी आजीविका कमाने में समर्थ बन सकें।

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