खाची को हटाने की अटकलों के बीच सदन में हुआ हंगामा
मुख्यमंत्री का पलटवार,अधिकारियों से कहा काम लेना, यह सरकार करेगी तय
पौने चार साल के कार्यकाल में जयराम सरकार ने लगाया छठा मुख्य सचिव

शिमला
हिमाचल कॉडर के 1986 बैच के आईएएस अधिकारी एवं पूर्व मुख्य सचिव अनिल खाची की वोलेंटियर रिटायरमेंट के बाद जयराम सरकार ने 1987 बैच के रामसुभग सिंह को नया मुख्य सचिव बनाया है।
अनिल खाची की ताजपोशी आगामी पांच सालों के लिए संवैधानिक पद राज्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) पर की गई है। खाची को उनकी रिटायरमेंट से डेढ वर्ष पूर्व मुख्य सचिव पद से हटाने की अटकलों के बीच वीरवार को विधानसभा में भी बवाल मचा।
उधर, कुछ देर बाद कार्मिक विभाग ने पहले सीईसी और बाद में मुख्य सचिव की तैनाती को लेकर अधिसूचना जारी कर दी।
इस तरह जयराम सरकार के पौने चार साल के कार्यकाल में रामसुभग सिंह छठे मुख्य सचिव बन गए। इनसे पहले वीसी फारका, विनीत चौधरी, बीके अग्रवाल, श्रीकांत बाल्दी और अनिल खाची इस सरकार में मुख्य सचिव रह चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के तहत अनिल खाची ने पहले सरकारी सेवाओं से इस्तीफा दिया और सरकार ने नौकरी छोड़ने से तीन महीने पहले नोटिस देने की शर्त में छूट देकर उन्हें राज्य का सीईसी लगाया। माकपा नेता एवं ठियोग से विधायक राकेश सिंघा ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
सदन में गूंजा अनिल खाची का मामला
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने प्रश्नकाल खत्म होते ही सदन में मुख्य सचिव बदलने की अटकलों के बीच कहा कि सरकार को हिमाचली मुख्य सचिव पसंद नहीं आ रहे हैं।
इससे पहले सरकार हिमाचली मूल के वीसी फारका को भी पद से हटा चुकी है। उन्होंने कहा कि परमार जयंती पर मुख्यमंत्री ने हिमाचली की बात कही थी।
अब हिमाचली अफसरों को हटाकर बाहरी को मुख्य सचिव बनाया जा रहा है। मौजूदा सरकार ने छठा मुख्य सचिव लगा दिया है। उन्होंने कहा कि जल शक्ति मंत्री से विवाद के बाद सरकार खाची को हटा रही है। ऐसी क्या वजह है कि सरकार ने छह मुख्य सचिव लगा दिए है।
मुख्यमंत्री ने किया पलटवार
नेता प्रतिपक्ष के आरोपों पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि किस अधिकारी से कहा काम लेना है। यह सरकार तय करेगी।
उन्होंने कहा कि पूर्व में मुख्यमंत्री ऐसे भी बने हैं जो वरिष्ठता सूची में छठें स्थान पर थे। अफसरों को हिमाचली या बाहर का बताना इनके साथ नाइंसाफी है।
दो एसीएस को सौंपा रामसुभग के विभागों का दायित्व
रामसुभग सिंह अब तक उद्योग, परिवहन, श्रम एवं रोजगार विभाग का जिम्मा संभाले हुए थे। रामसुभग के मुख्य सचिव बनने के बाद इनके विभागों का जिम्मा अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान और जेसी शर्मा को दिया गया।
आरडी धीमान को उद्योग, श्रम एवं रोजगार विभाग और जेसी शर्मा को परिवहन, एमडी रोपवे एंड रेपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलपमेंट कोरपोरेशन का जिम्मा दिया गया है।
सीईसी बनने को कई नौकरशाह थे रेस में
बीते 31 मई को पी मित्रा की रिटायरमेंट के बाद से कई पूर्व व मौजूदा नौकरशाह सीईसी बनने की रेस में शामिल थे।
सीईसी के मलाइदार पद के लिए पूर्व मुख्य सचिव बीके अग्रवाल, पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव मनीषा नंदा, मौजूदा अतिरिक्त मुख्य सचिव जेसी शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव डॉ आरएन बत्ता प्रमुख दावेदारों में शामिल थे।
इनमें से कुछ नौकरशाह तो दिल्ली से भी सरकार पर सीईसी पद पर अपनी ताजपोशी के लिए दबाव डाल रहे थे।
जल शक्ति मंत्री से खाची का विवाद
मई महीने में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्व मुख्य सचिव अनिल खाची और जल शक्ति महेंद्र सिंह ठाकुर के बीच विवाद हुआ था इसका कारण डिजास्टर मैनेजमेंट फंड का आवंटन था।
मंत्री ने बजट आवंटन से पहले उन्हें न पूछने का की बात कहकर मुख्य सचिव को घेरने की कोशिश की थी। इसके बाद मामला जब मीडिया में आया तो विपक्ष और लोगों ने जल शक्ति मंत्री को ही आड़े हाथ लिया।
इसी विवाद के कारण विपक्ष अनिल खाची को हटाने का मुद्दा बना रहा है।
अगस्त 2026 तक सीईसी रहेंगे खाची
मुख्य सचिव पद से अनिल खाची को हटाया जरूर गया है, लेकिन सीईसी का संवैधानिक पद इससे कम नहीं है। खाची मुख्य सचिव रहते तो उन्होंने जून 2023 में रिटायर होना था, लेकिन अब खाची अगस्त 2026 तक सीईसी पद पर बने रहेंगे।