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विशेष : देवभूमि हिमाचल में ‘देव वन’ को काटने की हिम्मत नहीं कर पाता माफिया

देवता के कारिंदे फोरेस्ट गार्ड के तौर पर करते हैं देव वनों की रक्षा 

इस वजह से भी प्रदेश में 334 वर्ग किलोमीटर बढ़ा वन आवरण 

शिमला | टीएनआर

देश व दुनिया में जंगल विकास की भेंट चढ़ रहे हैं। वहीं हिमाचल में वनों का दायरा बढ़ रहा है। फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेक्षण के मुताबिक हिमाचल के वन आवरण में 334 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का इजाफा हुआ है। इसमें देवभूमि के ‘देव वनों’ का महत्वपूर्ण योगदान है। हिमाचल में आज भी वन माफिया ‘देव वनों’ पर अपनी कुदृष्टि नहीं डाल पाता है। यही वजह है कि खासकर शिमला, कुल्लू, चंबा, सिरमोर, किन्नौर और मंडी जिला में देव वन खूब पनप रहे हैं। देव दोष के डर से ‘देव वनों’ से पेड़ काटना तो दूर लोग जंगलों में सूखी पड़ी लकड़ी, छवान और पेड़ की छांग भी लोग नहीं कर पाते है। 

स्थानीय देवलुओ द्वारा ‘देव वनों’ के नियम कड़े बनाए जाते हैं। गलती से यदि कोई ‘देव वन’ से लकड़ी काट लेता है तो उस सूरत में देवलुओ की पंचायत बिठाकर दंड दिया जाता है। देवता चिखणेश्वर जनोग के कारदार एवं नंबरदार हेत राम ने बताया कि देवठियो के समीप सदियों से देव वन विद्यमान हैं। इन वनों को काटने की किसी को भी इजाजत नहीं होती। उन्होंने बताया कि कारिंदे यानी देवता पर आस्था रखने वाले स्थानीय लोग ही वनों की स्वयं रक्षा करते हैं। एक तरह से इलाके के लोग फोरेस्ट गार्ड की भूमिका निभाकर वनों को माफिया से बचाते हैं। देव वन की लकड़ी का इस्तेमाल संबंधित देवता की इजाजत पर ही मंदिर निर्माण, जीर्णोद्धार और देवता का रथ बनाने के लिए किया जा सकता है। 

वन आवरण बढ़ने के पीछे नई प्लांटेशन भी अहम कारण

हिमाचल में वनों का दायरा बढ़ने के पीछे देव वन के अलावा नई प्लांटेशन भी बड़ा कारण है। वन महकमा बीते कुछ सालों से जन सहभागिता से अच्छी प्लांटेशन कर रहा है। इस पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे है। वर्ष 2018-19 में तकरीबन 20 लाख विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपित किए गए। 2019-20 में 75 लाख से अधिक पौधे, 2020-21 में करीब एक करोड़ पौधे और इस वर्ष 1.25 करोड़ विभिन्न किस्मों के पौधे रोपने का वन विभाग द्वारा लक्ष्य रखा गया है।

सड़क व बिजली को हजारों पेड़ काटने के बावजूद बढ़ा वन क्षेत्र

कार्बन क्रेडिट राज्य हिमाचल प्रदेश के वन आवरण (फोरेस्ट-कवर) में 334 वर्ग किलोमीटर की बढ़ौतरी हुई है। इसी के साथ प्रदेश में वन आवरण बढ़कर 15434 वर्ग किलोमीटर हो गया है। फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया रिपोर्ट दर्शाती है कि सड़क, बिजली प्रोजैक्ट समेत अन्य विकासात्मक कार्यों के लिए हजारों पेड़ काटने के बावजूद प्रदेशवासी बड़ी संख्या में नई प्लांटेशन और इनका संरक्षण भी कर रहे हैं।

2030 तक 30 फीसदी वन आवरण का लक्ष्य

हिमाचल का कुल भौगोलिक एरिया 55,673 वर्ग किलोमीटर है। वर्ष 2017 में राज्य का वन आवरण 15,100 वर्ग किलोमीटर (27.12 प्रतिशत) था। वर्ष 2019 में यह बढ़कर 27.72 प्रतिशत हो गया। कानूनी तौर पर हिमाचल में 67 फीसदी से अधिक फोरेस्ट एरिया है। नीति आयोग की सिफारिश के बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2030 तक 30 फीसदी वन क्षेत्र को वन आवरण में तब्दील करने का लक्ष्य रखा है।

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