Sunday, October 1, 2023

Public Portal Access Please Login/Register

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.
[wpuf_form id="28910"]
HomeHindiकर्जदार सरकार, अफसर आबाद और जनता का पैसा बर्बाद

कर्जदार सरकार, अफसर आबाद और जनता का पैसा बर्बाद

Curious about the legal status of online gambling in India? If you're wondering, is 1xbet legal in india? it's important to understand the specific laws and regulations.

हिमाचल राज्य बिजली बोर्ड में मनमाने टैंडर, प्रोजैक्ट्स में देरी से करोड़ों की चपत!

सौरभ सूद, टीएनआर

57 हजार करोड़ रुपए के भारी-भरकम कर्ज में दबी हिमाचल सरकार को झिंझोडऩे के लिए हम यह रपट कर रहे हैं। जिक्र हरदम घाटे का रोना रोने वाले हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड का, जिसके अफसर मनमाने ढंग से जनता के धन को बर्बाद कर रहे हैं। राज्य बिजली बोर्ड के करीब आधा दर्जन प्रोजैक्ट्स तय समय पर कंप्लीट न होने के कारण उनकी निर्धारित लागत 20 से 50 फीसदी तक बढ़ गई है। ऐसी आधा दर्जन मुख्य परियोजनाओं में बोर्ड को करोड़ों की चपत लग चुकी है।

1.23 करोड़ के प्रोजेक्ट की लागत डेढ़ गुणा बढ़ी

द न्यूज राडार के पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार जिला चंबा के भरमौर से घरोला तक 11 केवी और 33 केवी सब स्टेशनों में उपकरणों की खरीद, सिंगल सर्किट स्ट्रक्चर की स्थापना के लिए 20 सितंबर 2013 को टैंडर कॉल किए थे। यह कार्य 6 माह में पूरा होना था परंतु वास्तव में यह काम 6 साल की देरी से 30 जुलाई 2019 को कंप्लीट हुआ। इस प्रोजैक्ट की तय लागत करीब एक करोड़ 23 लाख 22 हजार रुपए थी जोकि लेटलतीफी के कारण लगभग 2 करोड़ 9 लाख 97 हजार यानि डेढ़ गुना से अधिक हो गई।

6 करोड़ 73 लाख की परियोजना का खर्च 10.29 करोड़ हुआ

11 केवी व 33 केवी सब स्टेशन बड़ागांव के तहत बिओलिया से बड़ागांव तक 33 केवी सिंगल सर्किट लाइन बिछाने के लिए 25 अप्रैल 2016 को टैंडर हुआ। यह काम डेढ़ साल में पूरा होना था, लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी काम अधूरा है। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत करीब 6 करोड़ 73 लाख 40 हजार रुपए थी जो काम में देरी के चलते अब लगभग 10 करोड़ 29 लाख तक जा पहुंची है। यह प्रोजैक्ट केंद्र सरकार की ग्रांट से पूरा होना था जोकि अब राज्य सरकार को खुद पूरा करना होगा।

हर साल 2 करोड़ का एनर्जी जैनरेशन लॉस

रोंगटोंग पावर हाउस की मरम्मत और नए उपकरणों की सप्लाई के लिए 23 जुलाई 2012 को टैंडर अवार्ड किए थ। 20 महीने में काम पूरा होना था, जोकि आज तक कंप्लीट नहीं हुआ। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 4 करोड़ 32 लाख रुपए थी, लेकिन काम लटकने के कारण बोर्ड को हर साल करीब 2 करोड़ का लॉस आफ जेनरेशन हो रहा है।

3.30 करोड़ की चपत

चुल्ला से कंगैण में प्रस्तावित सब स्टेशन तक 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन में विभिन्न उपकरण स्थापित करने का 23 अप्रैल 2015 को शुरू हुआ प्रोजेक्ट डेढ़ साल में बनना था जोकि साढ़े 3 साल की देरी से 25 मई 2020 को पूरा हुआ। लागत 10.24 करोड़ से बढकऱ 13.54 करोड़ हो गई। 3.30 करोड़ की चपत लगी।

1.65 करोड़ का नुक्सान

जिला शिमला के चौपाल में 66-22 केवी स्टेशन में उपकरण स्थापित करने का टेंडर 29 मई 2017 को हुआ। 14 माह की मियाद में काम पूरा करना था, जो अधर में है। लागत 10.56 करोड़ से बढकऱ 12.21 करोड़ रुपए हो गई है। उपरोक्त दोनों प्रोजेक्टस में बोर्ड रैवन्यू लॉस भी उठा रहा है।

11 करोड़ की राजस्व हानि

सैंज से चौपाल के लस्टाधार तक ट्रांसमिशन लाइन के लिए टावर और सुरक्षा दीवार लगाने के टैंडर 28 दिसंबर 2016 को हुए थे। 6 माह में काम पूरा होना था जो 4 साल बाद भी लटका है। इस प्रोजेक्ट की लागत 7.40 करोड़ है। बिजली बोर्ड को 2013 से लोन की रि-पेमैंट व ब्याज अदायगी करनी पड़ रही है। ट्रांसमिशन शुरू न होने करीब 11 करोड़ की चपत का अनुमान है।

महंगे दामों पर खरीदे उपकरण


दस्तावेजों के अनुसार 33-11 केवी सब स्टेशन बैजनाथ व पालमपुर के कुरल सब स्टेशन में विभिन्न उपकरण मुहैया करवाने के लिए तय उचित रेट से कई गुना अधिक रेट पर टैंडर बांटने के आरोप संबंधित अधिकारियों पर लगे हैं।

सर्वेक्षणों और डी.पी.आर. पर सवाल

बिजली बोर्ड के पूर्व निदेशक वित्त एवं कार्मिक कै. जेएम पठानिया ने बीते 27 मार्च 2021 को राज्य बिजली बोर्ड के सभी चीफ इंजीनियर्स और सीनियर एग्जीक्यूटिव इंजीनियर्स को लिखे पत्र में सख्त टिप्पणी करते हुए इसे जनता के पैसे का खुलेआम दुरुपयोग करार दिया। वित्त निदेशक की टिप्पणी में दर्ज है कि विस्तृत सर्वे और प्रापर डीपीआर के बिना इन परियोजनाओं के टैंडर जारी करने के चलते बिजली बोर्ड को प्रोजेक्टस की लागत में करोड़ों की बढ़ौतरी और रैवन्यू लॉस झेलना पड़ रहा है।

7 माह में ही ट्रांसफर किए वित्त निदेशक

सिस्टम में खामियां उजागर करने वाले ईमानदार अफसर सत्ता के हुक्मरानों को हमेशा से चुभते आए हैं। हर सरकार में ऐसे अफसर हाशिए में धकेल दिए जाते हैं। बिजली बोर्ड के प्रोजेक्ट्स और उपवकरण खरीद में गंभीर अनियमितताएं उजागर करने पर निवर्तमान वित्त निदेशक कै. जेएम पठानिया को भी ट्रांसफर का तोहफा मिला। सरकार ने पठानिया की तैनाती 13 नवम्बर 2020 को बिजली बोर्ड के वित्त एवं कार्मिक निदेशक पद पर की थी, जिन्हें महज 7 महीने बाद 23 जून 2021 को ट्रांसफर कर दिया गया।

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments