शिक्षा विभाग ने नियमों की अवहेलना कर वर्दी की जांच पर 1.62 करोड़ की फिजूलखर्ची की
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मॉनसून सत्र के आखिरी दिन सदन में पेश की कैग की रिपोर्ट

शिमला
नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी), प्रदेश विश्वविद्यालय, शिक्षा विभाग तथा डीसी द्वारा एसडीआरएफ की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में पवन हंस कंपनी पर मेहरबान होने की बात कही है। जीएडी के मेहरबान से सरकारी खजाने को करोड़ों की चपत लगी है।
इससे पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में कैग की रिपोर्ट प्रस्तुत की। सुरक्षा के दृष्टिगत पवन हंस कंपनी के हैली कॉप्टर की स्थिति संतोषजनक नहीं होने के बावजूद जीएडी ने कंपनी की ठेका राशि में सालाना 10% का इजाफा किया।
तकनीकी बोली में दूसरी कंपनियों को इसमें शामिल होने का मौका नहीं दिया गया। इससे सरकार का 18.39 करोड़ रुपए बेवजह खर्च हुआ।
विश्वविद्यालय और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल
कैग ने विश्वविद्यालय व शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि विश्व विद्यालय प्रशासन ने रजिस्टरों व बैंक खातों का रोजाना मिलान नहीं किया।
मिलान न होने से करीब 1.13 करोड़ का गबन हुआ है। इसी तरह स्कूल वर्दी के कपड़े की जांच में एक प्रयोगशाला को काम देने को लेकर सवाल उठाए हैं।
शिक्षा विभाग ने वित्तीय नियमों की अवहेलना कर वर्दी के कपड़े की सेंपल जांच का कार्य एक लैब को दिया है। ऐसा करके 1.62 करोड़ रुपए की फिजूलखर्ची की गई।
कोशल विकास केंद्र की स्थापना पर की करोड़ों की फिजूलखर्ची
कैग ने कामगार कल्याण बोर्ड के माध्यम से कौशल विकास केंद्र की स्थापना पर खर्च 24.15 करोड़ पर भी सवाल उठाए हैं। इसमें कहा गया कि इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बावजूद कौशल विकास केंद्र संस्थान का उपयोग नहीं किया जा सका।