शिमला में आयोजित संयुक्त किसान मंच के अधिवेशन में तैयार की गई रणनीति
राजनीति भूलकर सभी दलों के नेता एवं बागवान अधिवेशन में हुए शामिल


शिमला
हिमाचल के बागवान सेब के दाम में आई गिरवाट के बाद आर-पार की लड़ाई को तैयार हो गए है। संयुक्त किसान मंच के बैनर तले सोमवार को शिमला में 13 विभिन्न किसान संगठनों और बागवानों ने इसकी रणनीति तैयार कर ली है।
राज्य सरकार यदि बागवानों को उचित दाम दिलाने में नाकाम रही तो आगामी 13 सितंबर को प्रदेशभर में ब्लाक, तहसील व उपमंडल स्तर पर धरने दिए जाएंगे।
26 सितंबर को इससे बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा। सेब की लड़ाई लड़ने के लिए सभी बागवानी राजनीति भूलकर एक मंच पर आए है।
इसमें ठियोग से माकपा विधायक राकेश सिंघा, शिमला ग्रामीण विधायक विक्रमादित्य सिंह और भाजपा नेत्री नीलम सरेक भी पहुंची।
सभी नेताओं ने बागवानों की लड़ाई को समर्थन दिया है। शिमला में आयोजित अधिवेशन में सेब के गिरे बाजार के अलावा बागवानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर चर्चा की गई।
अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए गिराए दाम ः सिंघाराकेश सिंघा ने शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज पर जबरदस्त हमला बोलते हुए कहा कि उनका यह बयान लुटेरों का है, जिसमे भारद्वाज ने यह कहा कि सेब के रेट डिमांड और सप्लाई के कारण गिरे है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और अडानी की मिलीभगत से सेब के रेट गिराए गए है। इसकी मार आज राज्य के 5000 करोड़ से सेब उद्योग पर पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि एपीएमसी एक्ट को रसूखदारों के दबाव में लागू नहीं होने दिया जा रहा है। मडियों में हो रही सरेआम लूट को रोकने में एपीएमसी नाकाम रहा है।
बागवानों को दो से तीन साल बाद भी पेमेंट नहीं मिल रही, जबकि एक्ट में फसल बिकते ही पेमेंट दिए जाने का प्रावधान है।कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिहं ने कहा कि वह बागवानों का समर्थन करते है। बागवानों के लिए उन्हें चाहे धरना देना पड़े, चाहे विधानसभा में मुुद्दा उठाना पड़े।
वह उठाएंगे। उन्होंने शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज के बयान की निंदा करते हुए कहा कि सरकार का काम बाजार भाव को नियंत्रित करना है।
उन्होंने बागवानी मंत्री के नदारद रहने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि बागवान सेब के उचित रेट न मिलने से परेशान है और बागवानी मंत्री कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।
रोजी पर आया संकटः नीलम भाजपा नेत्री एवं दो बार की जिला परिषद सदस्य नीलम सरेक ने कहा कि सेब के रेट गिरने से बागवानों की रोजी पर संकट आ गया है।
सभी बागवानों को आगे आकर उचित दाम के लिए आवाज उठानी होगी।
कश्मीर की तर्ज पर मिले एमएसपीसंयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि इस अधिवेशन के माध्यम से सरकार से कश्मीर की तर्ज पर 24, 44 और 60 रुपए एमएसपी तय करने, मंडियों में किसानों का शोषण रोकने, ओपन बोली लगाने, मंडियों में किसानों से की जा रही अवैध वसूली को रोकने की मांग की गई है।
यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो किसान-बागवान आंदोलन को और उग्र करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।