अब प्रदेश कांग्रेस में “खेला होबे “
पोस्टर वार से तैयार हुई सियासी पर पिच पर खेलने की बनी अलग – अलग टीमें

सौरभ सूद || TNR
शिमला: ” जेते जग में मनुज हैं, तेते अहैं विचार ” यह कहावत प्रदेश कांग्रेस पर सटीक पर बैठ रही है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में चर्चित “खेला होबे (खेल होगा) ” नारे की पृष्ठभूमि कांग्रेस में भी तैयार हो गई है। कांग्रेस में पोस्टर वार से तैयार हुई सियासी पिच पर खेलने के लिए अलग – अलग टीमें बन गई है। अब इन टीमों में खेला होबे – खेला होबे …। सबका लक्ष्य पी.सी.सी. चीफ बनने का है। इसे सीढ़ी बनाकर वर्ष 2022 में ” मुख्यमंत्री ” बनने की राह आसान होगी। इससे वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर की कुर्सी खतरे में पड़ती नजर आ रही है। हालांकि उन्हें प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे व कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह का समर्थन प्राप्त है लेकिन उनकी अस्वस्था के कारण कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पार्टी में फिलहाल अलग – थलग नजर आ रहें हैं।
पूर्व मंत्री जी.एस.बाली कैंप की एक चूक से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र समर्थक एकजुट हो गए। पूर्व मंत्री जी.एस.बाली को कांग्रेस पार्टी ने कोरोना रिलीफ कमेटी का प्रदेश प्रभारी बनाया है। इसके बाद उनके प्रदेश में पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों में जहां पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का फोटो भी गायब था वहीं प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं की फोटो को इसमे स्थान नहीं मिला था। शिमला व मंडी में पार्टी कार्यालय के बाहर लगे इन पोस्टरों को अज्ञात लोगों ने फाड़ दिया।हालांकि बाद में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का चित्र पोस्टरों में लगाया गया । प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह को इस तरह नजरअंदाज करना पार्टी कार्यकर्ताओं को भी पसंद नहीं आया।
कांग्रेस में शुरू हुए इस पोस्टर वार के बाद अब लंच डिप्लोमेसी का दौर शुरू हो गया है। पिछले वर्ष भी जून माह में एक ऐसा ही दौर चला था । इस साल भी जून महीने से ही इसकी शुरूआत हुई है। मजेदार बात यह है कि इसमें दो पात्र वही है जो पिछले साल भी जून महीने में शुरू हुई लंच व डिन्नर डिप्लोमैसी का हिस्सा थे और इस वर्ष भी जून महीने में शुरू हुई लंच डिप्लमेसी का हिस्सा बने है। पूर्व मुख्यमंत्री के समर्थकों की इस लंच डिप्लोमेसी से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को दूर रखने से नए राजनीतिक समीकरणों का संकेत मिल रहा है। पिछले वर्ष जून माह में ही पूर्व अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर, नदौन के विधायक व पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, शिलाई के विधायक हर्ष वर्धन चौहान, पूर्व मंत्री व राष्ट्रीय सचिव सुधीर शर्मा, पालमपुर के विधायक आशिष बुटेल , पूर्व मुख्य सचिव सोहन लाल ठाकुर और जुब्बल – कोटखाई के पूर्व विधायक रोहित ठाकुर के बीच हुई बैठक भी राजनीतिक गलियारों की सुर्खियां बनी थी। उस वक्त भी पी.सी.सी.चीफ को लेकर लॉबिंग शुरू हुई थी लेकिन यह सिरे नही चढ़ी।
प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, विधायक आशा कुमारी व पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा की ऊना में हुई बैठक ने नए राजनीतिक समीकरणों को जन्म दिया। अब इस बैठक को लेकर सियासी पार चढ़ा ही था कि 3 जून को प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, पूर्व मंत्री व पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर, विधायक आशा कुमारी, पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा च शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह एक साथ बैठक करते है। इससे संकेत मिल गए कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थक अपने सभी गिले – शिकवे भूलाकर एक हो रहे हैं। प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री की 5 जून को जिला सोलन व जिला सिरमौर के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थकों के साथ हुई बैठक ने तो इस पर मोहर लगा दी । प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थकों को एकता के एक सूत्र में पिरोना शुरू कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प हो गया है कि कांग्रेस में शुरू हुए “खेला होबे ” का क्या नतीजा रहता है ???