सड़क हादसे के बाद पीजीआई में भर्ती, इलाज के लिए धन नहीं
ऊना की संस्था और एक सहेली ने आगे आकर मदद की

ऊना । टीएनआर
न पिता का साया न भाई का। बूढ़ी मां भी बेटी पर निर्भर। लेकिन बेटी भी एक्सीडेंट के बाद लाचार और इलाज करवाना भी मुश्किल हो गया। बेटी की सहेली ने आगे आकर मदद की और पीजीआई चंडीगढ़ में एडमिट करवाया लेकिन विडंबना यह कि इलाज के लिए धन कहां से जुटाएं। दर्द से जूझती इस बेटी का सहारा अब ऊना की सामाजिक संस्था इंडियन हैल्पिंग हैंड बनी है।
26 साल की चंदा से यूं रूठी किस्मत
शिलीहरी कंडाघाट की रहने वाली नेपाल मूल की 26 वर्षीय चंदा का एक हफ्ते पहले परवाणू से सोलन राष्ट्रीय मार्ग पर एक्सीडेंट हो गया। चंदा की रीढ़ की हड्डी एवं गर्दन की हड्डी में फैक्चर तथा सिर में भी गहरी चोट आई। आनन-फानन मे चंदा को पीजीआई रेफर किया गया परंतु चंदा को देखने वाला कोई ना था। ना तो चंदा के पिता है ना ही कोई भाई, सिर्फ एक बूढ़ी मां है जो स्वयं सहारे की मोहताज है। यहां तक कि परिवार का अभी तक राशन कार्ड भी नहीं बना है जिससे कोई सरकारी सुविधा लग पाए। आमदनी का कोई रास्ता ना होने के कारण चंदा ही घर के लिए इधर उधर काम करके कमाया करती थी।
एक महीने बाद तय थी शादी
एक महीने बाद चंदा की शादी होनी थी जिससे चंदा का नया जीवन शुरू होना था और शायद आर्थिक स्थिति में बदलाव हो जाता, लेकिन भविष्य की सारी की सारी योजनाएं इस एक्सीडेंट के बाद खत्म होती नजर आने लगी है।
इंसानियत और दोस्ती का फर्ज निभाया
इंसानियत और दोस्ती का फर्ज निभाते हुए चंदा को उसकी सहेली किरन ठाकुर ने स्वयं पीजीआई पहुंचाया और उसके इलाज में दिन-रात साथ खड़ी है। चंदा के इलाज के लिए ऊना की समाजसेवी संस्था इंडियन हेल्पिंग हैंड्स भी सामने आई तथा कई सेवादार विभूतियों ने मिलकर लगभग 20000 की राशि सीधे चंदा के बैंक अकाउंट में भेजी है।
कदम-कदम पर मुश्किलें
फिलहाल चंदा का इलाज पीजीआई में चल रहा है। डॉक्टर का कहना है कि चंदा को ठीक होने में काफी समय लग सकता है। उसकी रीढ़ की हड्डी की सर्जरी होनी है, उसके लिए पर्याप्त देखभाल और आर्थिक सहायता की जरूरत है| इंडियन हेल्पिंग हैंड्स के चेयरमैन प्रिंस ठाकुर ने बताया कि इस मुश्किल घड़ी में आगे भी चंदा के साथ आर्थिक रूप से हम जुड़े रहेंगे।