दिल्ली से अभयदान लेकर लौटे कुलदीप राठौर, 2022 चुनाव का नेतृत्व करने की हुंकार भरी
मध्यप्रदेश, राजस्थान व पंजाब जैसे हालात से हिमाचल में बचना चाहता है गांधी परिवार

सौरभ सूद, धर्मशाला, टीएनएन
बेशक कांग्रेस के दिल्ली दरबार में हिमाचल से चंद बड़े नेता वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर को हटाने के लिए जोरदार लॉबिंग कर रहे हों, लेकिन 10 जनपथ से बाहर आई सूचना के मुताबिक 2022 के चुनाव तक गांधी परिवार यानी कि कांग्रेस आलाकमान वर्तमान अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर को पद से हटाने के फिलहाल हक में नहीं है।
राठौर का संगठन का अनुभव व लो प्रोफ़ाइल रहकर सभी को साधना आलाकमान को रास आ रहा है। अपने अढ़ाई साल के कार्यकाल में राठौर ने पार्टी के किसी भी बड़े नेता से लड़ाई मोल नहीं ली है।
यदि पार्टी हाईकामन ने वास्तव में राठौर को अभयदान दिया है, तो करीब एक दर्जन कांग्रेस नेताओं के अरमानों पर पानी फिर गया है।
पिछले साल बनी जम्बो कार्यकारिणी
कुलदीप राठौर ने पिछले साल संगठन की जम्बो कार्यकारिणी बनाकर हर बड़े नेता के खास समर्थकों को अहम पदों पर एडजस्ट करने की रणनीति लागू की।
हाल ही में थोक में प्रदेश प्रवक्ताओं की नियुक्ति भी एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह जब तक जीवित थे, राठौर पर उनका हाथ सदा बना रहा।
इस कारण विरोधी धड़ा शांत रहकर उचित समय का इंतज़ार करता रहा। अब पार्टी के भीतर फिर से खींचतान शुरू है।
मुकेश, सुधीर व आशा की तिकड़ी
वीरभद्र सिंह की लंबी अस्वस्थता के बीच उनके शागिर्द मुकेश अग्निहोत्री, सुधीर शर्मा व राजसी रिश्तेदार आशा कुमारी की तिकड़ी ने बैठकें कर माइनस बाली पार्टी नेताओं को प्रदेश भर में इकट्ठा करना शुरू दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री के अवसान के बाद अब कांग्रेस में खुलेआम नेतृत्व की जंग शुरू हो चुकी है।
राठौर का पलड़ा पूर्व मंत्री जीएस बाली की तरफ झुकता दिख रहा है जिस कारण वीरभद्र समर्थकों का खेमा अध्यक्ष बदलने के लिए दिल्ली में आलाकमान पर लगातार दबाव बनाने में जुट गया है।
सुक्खू, रामलाल ठाकुर व बाली जैसे बड़े नेता अपनी अलग रणनीति पर चले हुए हैं।
नेताओं के अपने-अपने तर्क, पत्र बम से हलचल
वैसे सूत्रों की मानें तो कांग्रेस में पिछले करीब ढाई वर्ष से राठौर को अध्यक्ष पद से हटाने के लिए चंद वरिष्ठ नेता रणनीति बना रहे हैं।
राठौर विरोधियों का मानना है कि जिसने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा हो उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ना कोई समझदारी नहीं है।
इस बीच पार्टी नेताओं के खिलाफ पत्र बम भी जारी हो रहे है। यह देखना दिलचस्प होगा है कि उपचुनाव पर इस खींचतान का क्या असर होगा।
चुनाव से पहले किसी को नाराज़ नहीं करने की मंशा
कांग्रेस से दिल्ली से जुड़े सूत्र बताते हैं कि हाईकमान विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल में मुख्यमंत्री की रेस में शामिल किसी भी नेता को पार्टी अध्यक्ष बनाकर अन्य नेताओं को नाराज नहीं करने की मंशा रखता है।
वर्तमान में जो अध्यक्ष बनेगा, उसे ही अगले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा माना जाएगा। इसे पार्टी में गुटबाजी बढ़ सकती है।
इन्ही कारणों से ही कांग्रेस को बीते साल मध्य प्रदेश में अपनी सरकार गंवानी पड़ी। राजस्थान व पंजाब में पार्टी नेताओं में आर-पार की जंग चली हुई है।
आलाकमान की यह है सोच
सूत्रों के अनुसार पार्टी हाईकमान का सोचना है कि कुलदीप सिंह राठौर के प्रदेश अध्यक्ष बने रहने से हिमाचल में सभी वरिष्ठ नेताओं के लिए मुख्यमंत्री बनने के विकल्प खुले रहेंगे।
विधानसभा चुनाव में सभी मुख्यमंत्री बनने के लिए खूब मेहनत करेंगे और पार्टी सरकार बनाने में कामयाब होगी।
मैं दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सहित तमाम आला नेताओं से मिलकर आया हूं।
सभी नेताओं को साथ लेकर पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत कर 2022 का चुनाव जीतना मेरा लक्ष्य है।
2022 के चुनाव तक मैं ही पार्टी का नेतृत्व करूंगा, इतना मुझे विश्वास है। – कुलदीप राठौर, अध्यक्ष, हिमाचल कांग्रेस कमेटी