फतेहपुर सीट पर भी सहानुभूति फैक्टर का लाभ उठाने की ताक में विपक्षी पार्टी
परिवारवाद का मुद्दा दरकिनार कर दिवंगत नेताओं के परिवार पर भरोसा

सौरभ सूद
मंडी/धर्मशाला । टीएनआर
हिमाचल में हॉट सीट बनी 17 विधानसभा क्षेत्रों व 5 जिलों में फैली मंडी लोकसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस ने उम्मीद के अनुरूप अपने सबसे बड़े नेता रहे दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी व मंडी से 2 बार सांसद रहीं प्रतिभा सिंह को उम्मीदवार बनाकर सहानुभूति फैक्टर के सहारे भाजपा को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले में जोरदार चुनौती देने की रणनीति अपनाई है।
मंडी उपचुनाव विशुद्ध रूप से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नाम पर ही कांग्रेस लड़ेगी, इसलिए तय रणनीति के तहत आलाकमान ने उम्मीदवारों की सूची में प्रतिभा सिंह के नाम के बीच वीरभद्र का नाम लिखा गया है।
स्व.वीरभद्र व प्रतिभा सिंह के विधायक पुत्र विक्रमादित्य ने टिकट का ऐलान होते ही अपने तमाम सोशल मीडिया हैंडल्स पर वोट नहीं श्रद्धांजलि टैगलाइन के साथ मंडी से प्रतिभा सिंह को जिताने की अपील जनता से कर डाली।
वीरभद्र 3 बार, प्रतिभा 2 बार बनीं सांसद
दरअसल, मंडी लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का काफी प्रभाव रहा है। इस सीट से वर्ष 1971, 1980 और 2009 में वीरभद्र सिंह 3 बार सांसद रहे हैं।
प्रतिभा सिंह भी दो बार वर्ष 2004 और 2013 के लोकसभा उपचुनाव में मंडी से जीत दर्ज कर चुकी हैं।2014 में प्रतिभा को मोदी लहर में भाजपा उम्मीदवार राम स्वरूप शर्मा ने पराजित किया था, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आश्रय शर्मा को उतारा जिन्हें साढ़े 4 लाख से अधिक मतों के रिकॉर्ड मार्जिन से राम स्वरूप शर्मा ने शिकस्त दी।
पंडित राम स्वरूप के आसमयिक निधन के बाद हो रहे इस उपचुनाव में कांग्रेस खासकर प्रतिभा सिंह को अपने दिवंगत पति वीरभद्र सिंह के नाम का सहारा है जबकि भाजपा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की साख दांव पर रहेगी।
फतेहपुर में कॉरपोरेट जगत से आए भवानी पर भरोसा
जिला कांगड़ा की फतेहपुर विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस ने 7 बार के विधायक व दिवंगत पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी सिंह पठानिया को टिकट देकर कांग्रेस ने जनता की सहानुभूति बटोरने का दांव चला है।
फतेहपुर में 2009 के बाद से भाजपा को जीत से वंचित रखने वाले सुजान सिंह पठानिया जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे।
मुम्बई में कारपोरेट जगत की चमक धमक भरी जॉब छोड़कर अपने दिवंगत पिता के नक्शे कदम पर चलने का इरादा कर चुके भवानी पठानिया को परिवारवाद के मसले पर फतेहपुर के अपनी ही पार्टी के पुराने नेताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है, लेकिन वे जनता के बीच लगातार संपर्क में हैं।
दूसरी तरफ भाजपा में भी टिकट के लिए यहां एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है। फतेहपुर उपचुनाव में दोनों दलों को बागियों से जूझना पड़ सकता है।